उदयपुर, 14 जनवरी। उदयपुर की फतेहसागर, पिछोला झीलों से देशी प्रवासी पक्षियों का विमुख होना शुभ संकेत नहीं है।
यह चिंता रविवार को उदयपुर में आयोजित झील संवाद में व्यक्त की गई है। झील संरक्षण समिति के डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि झीलों के किनारों ने पक्षियों के आश्रय स्थलों को नुकसान पहुंचाया है। अतः पक्षी दूसरे झीलों व तालाबों का रूख कर रहे हैं।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पिछोला की मगरियों पर आने वाले पक्षियों की संख्या में वर्ष दर वर्ष कमी हो रही है। इस वर्ष यह संख्या न्यूनतम है।
गांधी मानव कल्याण समिति के नंद किशोर शर्मा ने कहा कि झील किनारे सड़कों पर अत्यधिक वाहन संचालन ने पक्षियों सहित अन्य जैव विविधता को नुकसान पहंुचाया है।
युवा पर्यावरण प्रेमी कुशल रावल ने कहा कि झीलों के भीतर नावों के बढ़ते यातायात से पक्षियों के जीवन को आघात पहंुचा है। झील प्रेमी द्रुपद सिंह, रमेश चन्द्र राजपूत ने कहा कि वेटलैंड होने के बावजूद झीलों के किनारे व भीतर भारी आतिशबाजी ने पक्षी जीवन को संकट में डाला है।
संवाद से पूर्व पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के नाहर सिंह की उपस्थिति में झील घाट पर श्रमदान कर भारी मात्रा में जमा कचरे को हटाया गया।